लोगों की राय

नेहरू बाल पुस्तकालय >> बर्फीली बूंद

बर्फीली बूंद

गिजुभाई बधेका

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :40
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6250
आईएसबीएन :978-81-237-5025

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

234 पाठक हैं

प्रस्तुत है कहानी बर्फीली बूँद ...

Barphili Boond A Hindi Book by Gijubhai Badheka - बर्फीली बूँद - गिजुभाई बधेका

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

एक आंख वाली चिड़िया

एक किसान था। उसने अपने खेत में ज्वार बोई थी। ज्वार में बालें आईं। बालों में दाने पड़े। एक-एक दाना मोती-सा था। एक रोज चिड़िया ने उसी खेत में दाने चुगने की सोची। सब एक साथ पहुंच गईं। सब दूध भरे कोमल दाने चुगने लगीं। तभी किसान आ पहुंचा। तुरन्त उसने अपना जाल फैलाया। सब चिड़िया उड़ गईं। एक बेचारी, जिसकी एक आँख में अंधेरा था, फंस गई। किसान ने उसे पकड़कर बांध दिया। फिर छड़ी से फटकारने लगा। बेचारी चिड़िया छटपटाने लगी। दूर बाड़ के पास से एक ग्वाला गुजरा। उसे देख कर चिड़िया बोली :

ओ गायों के ग्वाले,
दैया रे दैया
एक आंख वाली मैं
तो चिरैया
बचा लो मुझे मेरे
प्यारे भैया

चिड़िया की आवाज सुनकर ग्वाला खेत पर पहुंचा। उसने देखा कि किसान चिड़िया को छड़ी से पीट रहा है। वह बोला, ‘इसे मत मारो। छोड़ दो। बेचारी एक आंख वाली है।’
किसान घुड़का, ‘कैसे छोड़ दूँ ? मैं तो इसे थाने में ले जाकर और पिटवाऊंगा। तुम क्या जानों इसने मेरा कितना नुकसान किया है ?’
ग्वाला बोला, ‘ऐसा करो ! तुम मेरी एक गाय ले लो और इसे छोड़ दो।’
किसान ने कहा, ‘यहां से फौरन दफा हो जाओ, वरना तुम्हें भी थाने में बंद करवा दूंगा।’ ग्वाला अपनी गायों के साथ आगे बढ़ गया। कुछ देर बाद उधर से भैंसों का चरवाहा गुजरा। उसे देखकर चिड़िया फिर दुहाई देने लगी :

ओ भैंसों के चरवाहे, दैया रे दैया
एक आंख वाली मैं तो चिरैया
बचा लो मुझे मेरे प्यारे भैया


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book